नशामुक्ति अभियान के कार्यक्रम का आयोजन अलक्षेन्द्र इण्टर कालेज में किया गया। इस कार्यक्रम में नशे से होने वाले दुष्परिणाम व युवा वर्ग में फैल रही नशा विकृति को कैसे रोका जाए इस पर विचार विमर्श किया गया।
*रिपोर्टर प्रभाकर यादव गिलौला श्रावस्ती*
श्रावस्ती अलक्षेन्द्र इण्टर कालेज भिनगा में नशा मुक्त अभियान कार्यक्रम मुख्यविकास अधिकारी ईशान प्रताप सिंह की अध्यक्षता में सम्पन्न सम्पन्न हुई] मुख्य विकासअधिकारी ने बताया कि नशा एक ऐसी बुराई है जो हमारे समूल जीवन को नष्ट करदेती है। नशे की लत से पीड़ित व्यक्ति परिवार के साथ समाज पर बोझ बन जाता है।युवा पीढ़ी सबसे ज्यादा नशे की लत से पीड़ित है। सरकार इन पीड़ितों को नशेके चुंगल से छुड़ाने के लिए नशा मुक्ति अभियान चलाती है] शराब और गुटखे पररोक लगाने के प्रयास करती है। नशे के रूप में लोग शराब, गाँजा, जर्दा ब्राउनशुगर कोकीन स्मैक आदि मादक पदार्थों का प्रयोग करते हैं, जो स्वास्थ्य के साथसामाजिक और आर्थिक दोनों लिहाज से ठीक नहीं है। नशे का आदी व्यक्ति समाज कीदृष्टी से दूर हो जाता है और उसकी सामाजिक क्रियाशीलता शून्य हो जाती है]फिर भी वह व्यसन को नहीं छोड़ता है। धूम्रपान से फेफड़े में कैंसर होता हैं,वहीं कोकीन] चरस] अफीम लोगों में उत्तेजना बढ़ाने का काम करती हैं] जिससेसमाज में अपराध और गैरकानूनी हरकतों को बढ़ावा मिलता है। इन नशीली वस्तुओंके उपयोग से व्यक्ति पागल और सुप्तावस्था में चला जाता है। तम्बाकू के सेवन से तपेदिक निमोनिया और साँस की बीमारियों का सामना करना पड़ता है। इसके सेवन से जन औरधन दोनों की हानि होती है। उन्होनेबताया कि हिंसा बलात्कार चोरी आत्महत्या आदि अनेक अपराधों के पीछे नशा एकबहुत बड़ी वजह है। शराब पीकर गाड़ी चलाते हुए एक्सीडेंट करना] शादीशुदा व्यक्तियोंद्वारा नशे में अपनी पत्नी से मारपीट करना आम बात है। मुँह गले व फेफड़ों काकैंसर ब्लड प्रैशर अल्सर यकृत रोग अवसाद एवं अन्य अनेक रोगों का मुख्य कारणविभिन्न प्रकार का नशा है। भारत में केवल एक दिन में 11 करोड़ सिगरेट फूंके जातेहैं, इस तरह देखा जाय तो एक वर्ष में 50 अरब का धुआँ उड़ाया जाता है। आजके दौर में नशा फैशन बन गया है। प्रति वर्ष लोगों को नशे से छुटकारादिलवाने के लिए 30 जनवरी को नशा मुक्ति संकल्प और शपथ दिवस मनाया जाता है। उन्होंनेकहा कि इस मुहिम के तहत हम लोगों को जागरूक करेंगे और ऐसे लोगो को रोलमॉडल बनाएंगे, जो इसकी गिरफ्त से बाहर आ चुके हैं। अब खुलेआम नशे का व्यापारहो रहा है। धार्मिक स्थल व स्कूल के पास दुकान खुल रही हैं जो कि नशे कोबढ़ावा दे रही है इसके लिए एक मुहिम अभियान चला कर तहसील ग्राम स्तर पर लोगोंको जागरूक करने के साथ ही पीड़ित परिवारों को नशे से मुक्ति दिलायी जायेगी जिससे कि लोगों को नशे का बाध्य न होना पड़े। इसअवसर पर जिला विकास अधिकारी विनय कुमार तिवारी ने नशा मुक्त अभियान कार्यक्रम के दौरानबताया कि नशा एक अभिशाप है उन्होने बताया कि एक सर्वे के अनुसार भारत में गरीबी की रेखा केनीचे जीवन यापन करने वाले लगभग 37 प्रतिशत लोग नशे का सेवन करते हैं। इनमें ऐसे लोग भी शामिल हैं जिनके घरों में दो जून रोटी भी सुलभ नहीं है। जिनपरिवारों के पास रोटी−कपड़ाऔर मकान की सुविधा उपलब्ध नहीं है तथा सुबह−शाम के खाने के लाले पड़े हुए हैं उनकेमुखिया मजदूरी के रूप में जो कमा कर लाते हैं वे शराब पर फूंक डालते हैं। इनलोगों को अपने परिवार की चिन्ता नहीं है कि उनके पेट खाली हैं और बच्चेभूख से तड़प रहे हैं। ऐसे लोगों की संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है। येलोग कहते हैं वे गम को भुलाने के लिए नशे का सेवन करते हैं। उनका यह तर्क कितनाबेमानी है जब यह देखा जाता है कि उनका परिवार भूखे ही सो रहा है। एक स्वैच्छिकसंगठन की रिपोर्ट में यह जाहिर किया गया है कि कुल पुरूषों की आबादी में सेआधे से अधिक आबादी शराब तथा अन्य प्रकार के नशों में अपनी आय का आधे सेअधिक पैसा बहा देते हैं। उन्होंनेकहा कि नशा एक ऐसी समस्या है, जिसकी जड़ें ज्यादातर घरों तक पहुंच चुकी हैं। यहबुराई विकराल रूप धारण कर रही है समाज से इसे उखाड़ फेंकने के लिए हम सभी कोअपना योगदान देना होगा, सबसे अधिक युवा इसकी गिरफ्त में आ रहे हैं। कार्यक्रमके दौरान जिला समाज कल्याण अधिकारी राकेश रमन ने बताया कि हमारे समाज में नशेको सदा बुराइयों का प्रतीक माना और स्वीकार किया गया है। इनमें सर्वाधिक प्रचलनशराब का है। शराब सभी प्रकार की बुराइयों की जड़ है। शराब के सेवन से मानव केविवेक के साथ सोचने समझने की शक्ति नष्ट हो जाती है। वह अपने हित−अहित और भले−बुरे का अन्तर नहीं समझ पाता। शराब केसेवन से मनुष्य के शरीर और बुद्धि के साथ−साथ आत्मा का भी नाश होजाता है। शराबी अनेक बीमारियों से ग्रसित हो जाता है। अमीर से गरीब और बच्चे सेबुजुर्ग तक इस लत के शिकार हो रहे हैं। शराब के अतिरिक्त गांजा] अफीम और अन्यअनेक प्रकार के नशे अत्यधिक मात्रा में प्रचलित हो रहे हैं। देश में नशाखोरी मेंयुवावर्ग सर्वाधिक शामिल हैं। मनोचिकित्सकों का कहना है कि युवाओं में नशे केबढ़ते चलन के पीछे बदलती जीवन शैली] परिवार का दबाव] परिवार के झगड़े]इन्टरनेट का अत्यधिक उपयोग] एकाकी जीवन, परिवार से दूर रहने] पारिवारिक कलह जैसेअनेक कारण हो रहे हैं। कार्यक्रम का संचालन गुलिस्ता फाउन्डेशन की गुलशनजहां ने किया । इसअवसर पर अलक्षेन्द्र इण्टर कालेज के प्रधानाचार्य ज्योति प्रकाश पाण्डेय परामर्श दाता जितेन्द्र कुमार मिश्रा सहपरिवीक्षा अधिकारी रामचन्द्रमौर्या सहित वालेन्टियर्स एवं छात्र/छात्राएं उपस्थित रहे।
No comments:
Post a Comment