Thursday, October 28, 2021

एक बार फिर मिट्टी के दीपों से जगमग होंगे घर आंगन

गोंडा - कोरोना कॉल का लगभग चौदह माह से अधिक समय बीत चुका है। इससे व्यापार व व्यवसाय को भारी क्षति उठानी पड़ी है। दीपावली को महज आठ दिन शेष रह गए हैं, लेकिन बाजार में अभी रौनक नहीं लौटी है, जो प्रतिवर्ष व्यापार जगत में देखी जाती थी। व्यापार जगत को जितना नुकसान हुआ है, उतना ही नुकसान और आर्थिक क्षति कुम्हार वर्ग भी उठा रहा है।क्षेत्र के कटरा ब्लॉक में करीब 15 हजार से ऊपर कुम्हार बिरादरी के लोग हैं। बनगांव के कुम्हारन पुरवा में करीब 20 घर के 200 लोग, रैकवार पुरवा के 7 घर से 50, रामापुर के बनकटी से 50 कुम्हार, मंडप, नरायनपुर, कोल्हुर, देवापसिया, भैंसहा, चरेरा, नएपुरवा सहित तमाम ऐसे गांव हैं जहां के कुम्हार दीवाली का त्यौहार खुशहाली पूर्वक मनाने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं।इन कुम्हारों की घूमती चाक पर हजारों प्रश्न घूमते हुए आज के समाज से पूछ रहे हैं कि दूसरों के आंगन को रोशनी देने वालों के घरों में ही अंधेरा क्यूं है। इस बार क्षेत्र के कुम्हार यह अपेक्षा कर रहे हैं कि इस दीवाली में मिट्टी के दीये की बिक्री बढ़ेगी और उनकी आर्थिक क्षति में कुछ हद तक सुधार होगा।
बनगांव के कुम्हारनपुरवा के सुंदर कहते हैं कि हमेशा से पूर्वजों की विरासत थी और परिवार भी इसी से चलता था, लेकिन अब आखिरी है। बच्चे दूसरे कामों में चले गए, कमाई है नहीं।
कुम्हार पुत्तीलाल ने बताया कि इस कार्य से अच्छा है कि फावड़ा चला कर मजदूरी कर लें, 300 से चार सौ तक मिल जाता है। यहां तो हफ्तेभर में भी 300 नहीं मिलते हैं।
कहा कि बड़ी इमारतों में रहने वाले कहां यहां यह दीयाली लेने आएंगे। कुम्हार पूरन कुमार, राजेंद्र प्रसाद, सावल प्रसाद, देवी प्रसाद, रामकुमार, रामावती, रमेश आदि लोगों ने बाताया कि पहले मिट्टी के बर्तन व दीये बनाने के लिए मिट्टी आसानी से मिल जाया करती थी।अब तो 300 रुपए फुट देने पर भी मिट्टी नहीं मिलती। उपर से प्लास्टिक व चाइनीज सामानों ने हमें बर्बाद कर दिया। पहले 12 के 12 महीने फुरसत नहीं मिलती थी। ऊपर से दीवाली में तो दिन रात मेहनत करते थे।

रिपोर्ट-अशोक सागर

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