यह अलग बात है कि स्वास्थ्य विभाग इन मरीजों को इलाज की समुचित व्यवस्था मुहैया नहीं करा पा रहा। इसके कारण बीमारी से मरने वालों का आंकड़ा भी लगातार बढ़ रहा है। कोरोना के चलते ही अब तक जिले में 168 लोगों की मौत हो चुकी है। इसमें गांव क्षेत्रों में सौ से अधिक मौत हुई है।
जिले में कोरोना की दूसरी लहर से कई जानें गईं, इसके बाद भी कोरोना संक्रमण की रोकथाम के प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। जिले में चिह्नित 634 क्षेत्रों को कंटेनमेंट जोन जरूर बनाया गया है, लेकिन वहां पर कोविड प्रोटोकाल के तहत निगरानी व रोकथाम के कोई इंतजाम नहीं दिखते।
वर्तमान में 1439 एक्टिव कोरोना मरीजों में से भी सिर्फ 151 मरीज ही अस्पतालों में भर्ती हैं, बाकी होम आइसोलेशन में रहकर ही इलाज करा रहे हैं। गांवों में सतर्कता बरतने को लेकर भी आम लोग कोताही बरत रहे हैं। सहालग के इस सीजन में शादी विवाह के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क पहनने तक पालन नाममात्र को दिखावे के लिए हो रहा है।
चकरौत गांव में एक ही परिवार के पांच व आसपास के गांवों में एक सप्ताह से करीब नौ लोगों की मौत के बाद भी स्वास्थ्य विभाग की टीम गांवों में झांकने तक नही पहुंची। प्रशासन इन मौतों की खबर से बेखबर बना हुआ है। मौतों के 16 दिन बाद गांव सहित पीड़ित परिवार के घर का सैनिटाइजेशन कराया गया।
वर्तमान में 1439 एक्टिव कोरोना मरीजों में से भी सिर्फ 151 मरीज ही अस्पतालों में भर्ती हैं, बाकी होम आइसोलेशन में रहकर ही इलाज करा रहे हैं। गांवों में सतर्कता बरतने को लेकर भी आम लोग कोताही बरत रहे हैं। सहालग के इस सीजन में शादी विवाह के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क पहनने तक पालन नाममात्र को दिखावे के लिए हो रहा है।
चकरौत गांव में एक ही परिवार के पांच व आसपास के गांवों में एक सप्ताह से करीब नौ लोगों की मौत के बाद भी स्वास्थ्य विभाग की टीम गांवों में झांकने तक नही पहुंची। प्रशासन इन मौतों की खबर से बेखबर बना हुआ है। मौतों के 16 दिन बाद गांव सहित पीड़ित परिवार के घर का सैनिटाइजेशन कराया गया।
करनैलगंज सीएचसी के अंतर्गत ग्राम पंचायत चकरौत में बीते दिनों बेहद दर्दनाक घटना सामने आई है। यहां कोरोना संक्रमण की वजह से एक ही परिवार के पांच लोगों की मौत हो गई। इस घटना के बाद से पूरे गांव में दहशत का माहौल बन गया। चकरौत गांव में करनैलगंज मंडी समिति के लिपिक हनुमान प्रसाद श्रीवास्तव की मौत हो गई थी।
उसके बाद उनकी 75 वर्षीय मां सरला श्रीवास्तव पत्नी मोतीलाल श्रीवास्तव की मौत हुई। इसी सप्ताह में उनके 46 वर्षीय भाई अश्वनी श्रीवास्तव पुत्र मोतीलाल श्रीवास्तव की मौत हुई। यह क्रम जारी रहा उसके बाद 45 वर्षीय उषा श्रीवास्तव पत्नी अश्वनी की भी मौत हो गई।
सबसे बड़ा दुख का पहाड़ तब टूटा जब अश्वनी का जवान 22 वर्षीय बेटा सौरभ श्रीवास्तव की मौत हो गई। एक सप्ताह के भीतर एक ही परिवार के पांच सदस्यों की मौत से गांव में हफ्तों तक मातमी सन्नाटा पसरा रहा। आज भी उस दहशत से गांव में लोग सहमे हुए हैं। इसी गांव में सरिता 45 वर्ष पत्नी कृष्ण लाल तथा गांव की सीमा पर ग्राम बाबुरास पांडेपुरवा निवासी श्रीनाथ शुक्ल 60 वर्ष पुत्र भगवती प्रसाद की कोरोना से मौत हुई है।
पाण्डेयचौरा के रहने वाले 22 वर्षीय मनीष सिंह पुत्र मदन सिंह की मौत हो गई। तो वहीं गुरसडी के 21 वर्षीय सुभम पुत्र दयाराम गोस्वामी की मौत से क्षेत्र में सनसनी फैली हुई है। मजेदार पहलू यह है कि इतनी मौतों ने बाद प्रशासन अनजान बना रहा। मौतों की खबर छपने के बाद भी इस गांव को कंटेन्मेंट जोन नही घोषित किया गया।
स्वास्थ्य विभाग एवं प्रशासनिक लापरवाही का एक नमूना करनैलगंज नगर के भैरवनाथ पुरवा में भी देखने को मिला। जहां एक ही परिवार के दो अलग-अलग घरों में 5 लोगों की 3 दिनों में मौत हुई। यहां के सभासद मोहम्मद साबिर द्वारा स्वास्थ्य विभाग को कई बार सूचना दी गई।
मगर कोई भी टीम मोहल्ले तक नहीं पहुंची। उनका कहना है कि 3 दिनों में 5 लोगों की लाशें निकलने से पूरे मोहल्ले में दहशत का आलम रहा है। 12 दिनों में एक मोहल्ले से 12 लोगों की मौत हुई है।
जिस पर केवल नगर पालिका परिषद द्वारा प्रभावित घरों एवं मोहल्लों में सैनिटाइजेशन की व्यवस्था की गई। उन्होंने बताया कि भैरवनाथ पुरवा व बालकराम पुरवा एक ही वार्ड है।
मोहल्ले में निजामुद्दीन व समसुद्दीन पुत्र अब्दुल रऊफ, अब्दुल रऊफ पुत्र अब्दुल बारी के 3 दिनों में मौत हुई। इसके अलावा कय्यूम पुत्र अयूब, जैतून पत्नी अयूब इनकी भी मौत इसी तीन दिनों में हुई। यह दोनों परिवार अगल-बगल घरों में रहते थे। इसके अलावा इस मोहल्ले में 12 दिनों में 12 लोगों की मौत हुई है।
उसके बाद उनकी 75 वर्षीय मां सरला श्रीवास्तव पत्नी मोतीलाल श्रीवास्तव की मौत हुई। इसी सप्ताह में उनके 46 वर्षीय भाई अश्वनी श्रीवास्तव पुत्र मोतीलाल श्रीवास्तव की मौत हुई। यह क्रम जारी रहा उसके बाद 45 वर्षीय उषा श्रीवास्तव पत्नी अश्वनी की भी मौत हो गई।
सबसे बड़ा दुख का पहाड़ तब टूटा जब अश्वनी का जवान 22 वर्षीय बेटा सौरभ श्रीवास्तव की मौत हो गई। एक सप्ताह के भीतर एक ही परिवार के पांच सदस्यों की मौत से गांव में हफ्तों तक मातमी सन्नाटा पसरा रहा। आज भी उस दहशत से गांव में लोग सहमे हुए हैं। इसी गांव में सरिता 45 वर्ष पत्नी कृष्ण लाल तथा गांव की सीमा पर ग्राम बाबुरास पांडेपुरवा निवासी श्रीनाथ शुक्ल 60 वर्ष पुत्र भगवती प्रसाद की कोरोना से मौत हुई है।
पाण्डेयचौरा के रहने वाले 22 वर्षीय मनीष सिंह पुत्र मदन सिंह की मौत हो गई। तो वहीं गुरसडी के 21 वर्षीय सुभम पुत्र दयाराम गोस्वामी की मौत से क्षेत्र में सनसनी फैली हुई है। मजेदार पहलू यह है कि इतनी मौतों ने बाद प्रशासन अनजान बना रहा। मौतों की खबर छपने के बाद भी इस गांव को कंटेन्मेंट जोन नही घोषित किया गया।
स्वास्थ्य विभाग एवं प्रशासनिक लापरवाही का एक नमूना करनैलगंज नगर के भैरवनाथ पुरवा में भी देखने को मिला। जहां एक ही परिवार के दो अलग-अलग घरों में 5 लोगों की 3 दिनों में मौत हुई। यहां के सभासद मोहम्मद साबिर द्वारा स्वास्थ्य विभाग को कई बार सूचना दी गई।
मगर कोई भी टीम मोहल्ले तक नहीं पहुंची। उनका कहना है कि 3 दिनों में 5 लोगों की लाशें निकलने से पूरे मोहल्ले में दहशत का आलम रहा है। 12 दिनों में एक मोहल्ले से 12 लोगों की मौत हुई है।
जिस पर केवल नगर पालिका परिषद द्वारा प्रभावित घरों एवं मोहल्लों में सैनिटाइजेशन की व्यवस्था की गई। उन्होंने बताया कि भैरवनाथ पुरवा व बालकराम पुरवा एक ही वार्ड है।
मोहल्ले में निजामुद्दीन व समसुद्दीन पुत्र अब्दुल रऊफ, अब्दुल रऊफ पुत्र अब्दुल बारी के 3 दिनों में मौत हुई। इसके अलावा कय्यूम पुत्र अयूब, जैतून पत्नी अयूब इनकी भी मौत इसी तीन दिनों में हुई। यह दोनों परिवार अगल-बगल घरों में रहते थे। इसके अलावा इस मोहल्ले में 12 दिनों में 12 लोगों की मौत हुई है।
ब्यूरो चीफ गोंडा - अशोक सागर
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