Sunday, February 28, 2021
!!B TV9NEWS!! छेडछाड व मारपीट करने के आरोप में 03 अभियुक्त गिरफ्तार
Friday, February 26, 2021
!!Btv9 NEWS!! समझिए आचार संहिता का पूरा गणित, क्यों और कब होती है लागू
Saturday, February 20, 2021
भारत के बारे में रोचक तथ्य
- मेरा भारत मेरी शान
- भारत के बारे में रोचक तथ्य
भारत के बारे में रोचक तथ्य
- भारत ने अपने आखिरी 100000 वर्षों के इतिहास में किसी भी देश पर हमला नहीं किया है।
- जब कई संस्कृतियों में 5000 साल पहले घुमंतू वनवासी थे, तब भारतीयों ने सिंधु घाटी (सिंधु घाटी सभ्यता) में हड़प्पा संस्कृति की स्थापना की।
- भारत का अंग्रेजी में नाम ‘इंडिया’ इंडस नदी से बना है, जिसके आस पास की घाटी में आरंभिक सभ्यताएं निवास करती थी। आर्य पूजकों में इस इंडस नदी को सिंधु कहा।
- ईरान से आए आक्रमणकारियों ने सिंधु को हिंदु की तरह प्रयोग किया। ‘हिंदुस्तान’ नाम सिंधु और हिंदु का संयोजन है, जो कि हिंदुओं की भूमि के संदर्भ में प्रयुक्त होता है।
- शतरंज की खोज भारत में की गई थी।
- बीज गणित, त्रिकोण मिति और कलन का अध्ययन भारत में ही आरंभ हुआ था।
- 'स्थान मूल्य प्रणाली' और 'दशमलव प्रणाली' का विकास भारत में 100 बी सी में हुआ था।
- विश्व का प्रथम ग्रेनाइट मंदिर तमिलनाडु के तंजौर में बृहदेश्वर मंदिर है। इस मंदिर के शिखर ग्रेनाइट के 80 टन के टुकड़ों से बने हैं। यह भव्य मंदिर राजाराज चोल के राज्य के दौरान केवल 5 वर्ष की अवधि में (1004 ए डी और 1009 ए डी के दौरान) निर्मित किया गया था।
- भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र और विश्व का सातवां सबसे बड़ा देश तथा प्राचीन सभ्यताओं में से एक है।
- सांप सीढ़ी का खेल तेरहवीं शताब्दी में कवि संत ज्ञान देव द्वारा तैयार किया गया था इसे मूल रूप से मोक्षपट कहते थे। इस खेल में सीढियां वरदानों का प्रतिनिधित्व करती थीं जबकि सांप अवगुणों को दर्शाते थे। इस खेल को कौडियों तथा पांसे के साथ खेला जाता था। आगे चल कर इस खेल में कई बदलाव किए गए, परन्तु इसका अर्थ वहीं रहा अर्थात अच्छे काम लोगों को स्वर्ग की ओर ले जाते हैं जबकि बुरे काम दोबारा जन्म के चक्र में डाल देते हैं।
- दुनिया का सबसे ऊंचा क्रिकेट का मैदान हिमाचल प्रदेश के चायल नामक स्थान पर है। इसे समुद्री सतह से 2444 मीटर की ऊंचाई पर भूमि को समतल बना कर 1893 में तैयार किया गया था।
- भारत में विश्व भर से सबसे अधिक संख्या में डाक खाने स्थित हैं।
- भारतीय रेल देश का सबसे बड़ा नियोक्ता है। यह दस लाख से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करता है।
- विश्व का सबसे प्रथम विश्वविद्यालय 700 बी सी में तक्षशिला में स्थापित किया गया था। इसमें 60 से अधिक विषयों में 10,500 से अधिक छात्र दुनियाभर से आकर अध्ययन करते थे। नालंदा विश्वविद्यालय चौथी शताब्दी में स्थापित किया गया था जो शिक्षा के क्षेत्र में प्राचीन भारत की महानतम उपलब्धियों में से एक है।
- आयुर्वेद मानव जाति के लिए ज्ञात सबसे आरंभिक चिकित्सा शाखा है। शाखा विज्ञान के जनक माने जाने वाले चरक में 2500 वर्ष पहले आयुर्वेद का समेकन किया था।
- भारत 17वीं शताब्दी के आरंभ तक ब्रिटिश राज्य आने से पहले सबसे सम्पन्न देश था। क्रिस्टोफर कोलम्बस भारत की सम्पन्नता से आकर्षित हो कर भारत आने का समुद्री मार्ग खोजने चला और उसने गलती से अमेरिका को खोज लिया।
- नौवहन की कला और नौवहन का जन्म 6000 वर्ष पहले सिंध नदी में हुआ था। दुनिया का सबसे पहला नौवहन संस्कृत शब्द नव गति से उत्पन्न हुआ है। शब्द नौ सेना भी संस्कृत शब्द नोउ से हुआ।
- भास्कराचार्य ने खगोल शास्त्र के कई सौ साल पहले पृथ्वी द्वारा सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने में लगने वाले सही समय की गणना की थी। उनकी गणना के अनुसार सूर्य की परिक्रमा में पृथ्वी को 365.258756484 दिन का समय लगता है।
- भारतीय गणितज्ञ बुधायन द्वारा 'पाई' का मूल्य ज्ञात किया गया था और उन्होंने जिस संकल्पना को समझाया उसे पाइथागोरस का प्रमेय करते हैं। उन्होंने इसकी खोज छठवीं शताब्दी में की, जो यूरोपीय गणितज्ञों से काफी पहले की गई थी।
- बीज गणित, त्रिकोण मिति और कलन का उद्भव भी भारत में हुआ था। चतुष्पद समीकरण का उपयोग 11वीं शताब्दी में श्री धराचार्य द्वारा किया गया था। ग्रीक तथा रोमनों द्वारा उपयोग की गई की सबसे बड़ी संख्या 106 थी जबकि हिन्दुओं ने 10*53 जितने बड़े अंकों का उपयोग (अर्थात 10 की घात 53), के साथ विशिष्ट नाम 5000 बीसी के दौरान किया। आज भी उपयोग की जाने वाली सबसे बड़ी संख्या टेरा: 10*12 (10 की घात12) है।
- वर्ष 1896 तक भारत विश्व में हीरे का एक मात्र स्रोत था।(स्रोत: जेमोलॉजिकल इंस्टीट्यूट ऑफ अमेरिका)
- बेलीपुल विश्व में सबसे ऊंचा पुल है। यह हिमाचल पर्वत में द्रास और सुरु नदियों के बीच लद्दाख घाटी में स्थित है। इसका निर्माण अगस्त 1982 में भारतीय सेना द्वारा किया गया था।
- सुश्रुत को शल्य चिकित्सा का जनक माना जाता है। लगभग 2600 वर्ष पहले सुश्रुत और उनके सहयोगियों ने मोतियाबिंद, कृत्रिम अंगों को लगना, शल्य क्रिया द्वारा प्रसव, अस्थिभंग जोड़ना, मूत्राशय की पथरी, प्लास्टिक सर्जरी और मस्तिष्क की शल्य क्रियाएं आदि की।
- निश्चेतक का उपयोग भारतीय प्राचीन चिकित्सा विज्ञान में भली भांति ज्ञात था। शारीरिकी, भ्रूण विज्ञान, पाचन, चयापचय, शरीर क्रिया विज्ञान, इटियोलॉजी, आनुवांशिकी और प्रतिरक्षा विज्ञान आदि विषय भी प्राचीन भारतीय ग्रंथों में पाए जाते हैं।
- भारत में 4 धर्मों का जन्म हुआ - हिन्दु, बौद्ध, जैन और सिक्ख धर्म और जिनका पालन दुनिया की आबादी का 25 प्रतिशत हिस्सा करता है।
- जैन धर्म और बौद्ध धर्म की स्थापना भारत में क्रमश: 600 बी सी और 500 बी सी में हुई थी।
- इस्लाम भारत का और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा धर्म है।
- भारत में सबसे पुराना यूरोपियन चर्च और सिनागोग कोचीन शहर में है। इनका निर्माण क्रमश: 1503 और 1568 में किया गया था।
- ज्यू और ईसाई व्यक्ति भारत में क्रमश: 200 बी सी और 52 ए डी से निवास करते हैं।
- विश्व में सबसे बड़ा धार्मिक भवन अंगकोरवाट, हिन्दु मंदिर है जो कम्बोडिया में 11वीं शताब्दी के दौरान बनाया गया था।
- सिक्ख धर्म का उद्भव पंजाब के पवित्र शहर अमृतसर में हुआ था। यहां प्रसिद्ध स्वर्ण मंदिर की स्थापना 1577 में गई थी।
- वाराणसी, जिसे बनारस के नाम से भी जाना जाता है, एक प्राचीन शहर है जब भगवान बुद्ध ने 500 बी सी में यहां आगमन किया और यह आज विश्व का सबसे पुराना और निरंतर आगे बढ़ने वाला शहर है।
- माननीय दलाई लामा तिब्बती बौद्ध धर्म के निर्वासित धार्मिक नेता है, जो उत्तरी भारत के धर्मशाला में अपने निर्वासन में रह रहे हैं।
- युद्ध कलाओं का विकास सबसे पहले भारत में किया गया और ये बौद्ध धर्म प्रचारकों द्वारा पूरे एशिया में फैलाई गई।
- योग कला का उद्भव भारत में हुआ है और यह 5,000 वर्ष से अधिक समय से मौजूद है।
भारत के बारे में
भारत विश्व की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है जिसमें बहुरंगी विविधता और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है। इसके साथ ही यह अपने-आप को बदलते समय के साथ ढ़ालती भी आई है। आज़ादी पाने के बाद भारत ने बहुआयामी सामाजिक और आर्थिक प्रगति की है। भारत कृषि में आत्मनिर्भर बन चुका है और अब दुनिया के सबसे औद्योगीकृत देशों की श्रेणी में भी इसकी गिनती की जाती है। विश्व का सातवां बड़ा देश होने के नाते भारत शेष एशिया से अलग दिखता है जिसकी विशेषता पर्वत और समुद्र ने तय की है और ये इसे विशिष्ट भौगोलिक पहचान देते हैं। उत्तर में बृहत् पर्वत श्रृंखला हिमालय से घिरा यह कर्क रेखा से आगे संकरा होता जाता है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी, पश्चिम में अरब सागर तथा दक्षिण में हिन्द महासागर इसकी सीमा निर्धारित करते हैं।
Wednesday, February 17, 2021
!!B Tv9 NEWS!! खाताधारक के खाते से 30 हजार गायब,परेशान
करमा,स्थानीय क्षेत्र के केकराही इंडियन बैक से खाता धारक लाल मनी के खाते से 30हजार रुपये गायब खाते धारक के उड़े होश।
प्राप्त जानकारी के अनुसार इंडियन बैक केकराही का लगभग चार दिन नेटवर्क फेल होने से खाता धारकों में परेशानी दिखी।आज लगभग 11बजे नेटवर्क आने पर लंबी कतार लग गई।कतार में लगने के बाद जब लाल मनी पिता बब्बन सिंह ,निवासी धौरहा विकास खण्ड राबर्ट्सगंज का नम्बर आया तो बैंक मैनेजर द्वारा कहा गया कि आप के खाते से पैसा निकाल लिया गया है।पैसा बाउचर के अनुसार नहीं है।इतना सुन खाता धारक के होश उड़ गए।उसने कहा कि मैंने पैसा नहीं निकाला।इस पर बैंक मैनेजर संजीव कुमार ने कहा कि आप के खाते संख्या 50295252426 से दो बार 20 -20 हजार बैक से निकाला गया,10 -10 हजार बीसी प्वाइंट पर से निकाला गया है।इस पर खाता धारक ने कहा कि हमने तीस हजार रुपये बीसी प्वाइंट पर से नहीं निकाला है।लालमनी ने बताया कि हमारे रिश्ते दारी में शादी है।हम कैसे शामिल होंगे।अब इतनी बड़ी रकम कहा से आएगी।पाई -पाई करके कोरोना काल में एकत्रित हुए थे।अब खेती भी बिगड़ जाएगी। बहर हाल पैसा कैसे बैक से निकल गया, जाँच के बाद ही पता चल पाएगा।इस समय शादी ब्याह, खेती बाड़ी के काल में बैक से आये दिन सर्वर खराब होने से, बैक कर्मचारियों को इंडियन बैक की पूर्ण ट्रेनिंग न मिलने से कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।नाम न छापने पर बैक कर्मचारियों ने बताया कि पहले इलाहाबाद बैंक था, जिसमें सिस्टम कुछ और थे,अब इंडियन बैक हो गया जिसमें सिस्टम नये हो गए हैं।जिसमें परेशानी हो रही है।धीरे धीरे सब ठीक हो जायेगा।
मकसुद अहमद संवाददाता करमा, सोनभद्र !!B Tv9 NEWS!!
Saturday, February 13, 2021
!!B TV9 NEWS!! सपा की एक बूथ 20 यूथ कार्यप्रणाली का हुआ आगाज
!! B Tv9news!! रात में प्रेमी-प्रेमिका ने की लव मैरेज, सुबह हुआ खौफनाक अंजाम
एसपी डॉ.कौस्तुभ ने कहा है कि इस मामले में पुलिस दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी। उन्होंने आरोपितों की जल्द गिरफ्तारी का निर्देश दिया।
Thursday, February 11, 2021
!! B Tv9 NEWS!! हीरो से भी ज्यादा फीस लेता था ये खलनायक
अभिनेता प्राण का पूरा नाम प्राण कृष्ण सिकंद था। पुरानी दिल्ली के बल्लीमारान इलाके में एक मध्यवर्गीय परिवार में उनका जन्म हुआ था। प्राण के पिता लाला कृष्ण सिकंद एक आम सरकारी ठेकेदार थे। आपको बता दें कि प्राण बचपन से ही पढ़ाई में बहुत अच्छे थे I
हालांकि उनके भाग्य ने उनके लिए कुछ और ही सोच रखा था इसलिए फोटोग्राफर बनने की बजाय वो अभिनेता बन गए। एक्टिंग की दुनिया से उनका कोई नाता नहीं था लेकिन दर्शकों को अपनी एक्टिंग का लोहा मनवा दिया। फिल्मों की दुनिया में काम करने के बारे में उन्होंने कभी नहीं सोचा था पर फिल्मों ने ही उनकी एक अलग पहचान बना दी। प्राण को फुटबॉल खेलने का भी बहुत शौक था। वो अपना खाली समय खेलने में ही बिताते थे।
प्राण ने अधिकतर हिंदी फिल्मों में खलनायक का किरदार निभाया था लेकिन उनके अभिनय ने खलनायक के किरदार में भी हीरो के किरदार से ज्यादा रौनक डाली। प्राण को हिंदी फिल्मों में पहला ब्रेक साल 1942 में फिल्म खानदान से मिला। इस फिल्म की नायिका नूरजहां थीं। प्राण ने 18 अप्रैल 1945 को शुक्ला आहलुवालिया से शादी की थी। उनके तीन बच्चे हैं। दो बेटे अरविंद और सुनील और एक बेटी पिंकी।
B tv9 NEWS
सामान्य ज्ञान की कुछ बातें आपको पता है और कुछ आप अब तक नहीं जानते। कुछ ऐसे तथ्य हैं जिनका भरोसा करना है मुश्किल परंतु वे हैं एकदम सत्य। जानिए ऐसी ही रोचक बातें बातें "Btv9 News" पर जो आपके सामान्य ज्ञान में करेंगी जबरदस्त वृद्धि....
2. अगस्त में सबसे ज्यादा लोग पैदा होते हैं।


कासगंज में बिकरू जैसा कांड: फिर की वही 'गलती', आखिर कब सबक लेगी पुलिस?
"B Tv9news" शहीद आरक्षी देवेंद्र सिंह के पार्थिव शरीर को दी सलामी
Wednesday, February 10, 2021
"B Tv9news" चोरों का आतंक आम जन में दहशत
Tuesday, February 9, 2021
!!!Btv9News!!! भटनी थाना क्षेत्र के दो अलग-अलग जगहों पर ट्रक दुर्घटना मे एक दो की दर्दनाक मौत।
Sunday, February 7, 2021
सांकेतिक प्रदर्शन के बाद किसान संगठनों ने सौंपा ज्ञापन
गोंडा में किसान विरोधी तीनों कृषि कानून वापस लिए जाने की मांग को लेकर शनिवार को भारतीय किसान यूनियन, भारत की जनवादी नौजवान सभा, उत्तर प्रदेश खेत मजदूर यूनियन के संयुक्त तत्वाधान में विकास खंड छपिया के भोपतपुर बाजार में प्रदर्शन कर 5 सूत्री मांग पत्र तहसीलदार मनकापुर को सौंपा गया।
राष्ट्रपति को संबोधित दिए गए मांग पत्र में किसान विरोधी तीनों काला किसी कानून तत्काल वापस लिए जाने, न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी दर्जा देते हुए किसानों के लिए कृषि बिल में शामिल किए जाने, श्रम कानूनों में हुए संशोधनों को वापस लिए जाने, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को निजी हाथों में बेचना बंद किए जाने सहित अन्य मांगे शामिल हैं।
पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत संयुक्त आवाहन पर हो रहे प्रदर्शन को लेकर स्थानीय प्रशासन काफी चौकन्ना दिखा। सुबह से ही प्रदर्शन स्थल पर भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई व संगठन के पदाधिकारियों की घेराबंदी शुरू की गई। थाना अध्यक्ष छपिया से भारतीय किसान यूनियन, भारत की जनवादी नौजवान सभा, उत्तर प्रदेश खेत मजदूर यूनियन के पदाधिकारियों से वार्ता होने के बाद भोपतपुर बाजार में तहसीलदार मनकापुर मिश्री सिंह चौहान को ज्ञापन सौंपा गया।
इस अवसर पर भारतीय किसान यूनियन के मंडल अध्यक्ष नौशाद खान, जिला अध्यक्ष दीपक वर्मा, भारत की जनवादी नौजवान सभा के जिला अध्यक्ष दुर्गा सिंह पटेल, उत्तर प्रदेश खेत मजदूर यूनियन के जिला संयोजक खगेन्द्र जनवादी, मैनुद्दीन, सिराज अहमद, सतीश वर्मा, सुनील गौड़, शहजाद अली, गंगाराम भारती, गिरिजेश वर्मा, लवकुश कुमार, रंजीत भारती, अमित यादव, राजेश कुमार, संवारे, राजकुमार विश्वकर्मा विनय कुमार सहित भारी संख्या में तीनों संगठन के पदाधिकारी कार्यकर्ता मौजूद रहे।
रिपोर्ट- अशोक सागर B Tv9 NEWSफिजिकल एजूकेशन सोशल वेलफेयर फाउंडेशन ट्रस्ट करेगा खेल प्रतिभाओं का सम्मान
"B Tv9 NEWS" एसओजी टीम को मिली बड़ी सफलता
जागरूकता रैली का आयोजन किया गया
Saturday, February 6, 2021
"Btv9News" फ़र्ज़ी कॉल सेंटर का हुआ भंडाफोड़
"B Tv9 NEWS" गोंडा-बहराइच ट्रैक के विद्युतीकरण के लिए 28.50 करोड़ का बजट
इसके लिए भारत सरकार ने 116 करोड़ रुपये आवंटित किए गये हैं। इसके अलावा गोंडा-बहराइच रेल रूट करीब 60 किलोमीटर का भी विद्युतीकरण किया जाना है। यह लाइन अभी एक साल पहले ही ब्रॉडगेज में परिवर्तित की गई थी। लेकिन इस पर अभी ट्रेनों का संचालन शुरू नहीं हो पाया है। कोरोना काल के पहले तक इस पर एक पैसेंजर ट्रेन संचालित की गई थी उसे भी इस समय बंद कर दिया गया है।
लेकिन अब नए सिरे से इस रेल रूट पर विद्युुतीकरण का कार्य होना है जिसके लिए 28 करोड़ 53 लाख रुपये का बजट आवंटित किया गया है। इसके लिए अक्तूबर 2021 तक का समय दिया गया है। भारत सरकार ने रेलवे लाइनों के विद्युतीकरण का कार्य 2023 तक पूरा करने का वादा किया है। इसके बाद देश में कोई लाइन बिना बिजली के नहीं रह जाएगी।
समयावधि में पूरी होगी परियोजना रेलवे लाइनों के विद्युुतीकरण के लिए आवंटित बजट व समय का जो निर्देश रेलवे बोर्ड से प्राप्त हुआ है उसका अक्षरश: पालन कराया जाएगा। सभी काम समयावधि में पूरी होगी। पूर्वोत्तर रेलवे इसके लिए दृढ़ संकल्पित है।
"Btv9 NEWS"रिपब्लिक भारत टीवी के एंकर विकास शर्मा का निधन
कुछ दिन पहले हालत बिगड़ने पर उन्हें नोएडा के सेक्टर 71 स्थित कैलाश अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां गुरुवार की देर शाम उनका निधन हो गया। परिजन उनका पार्थिव शरीर पैतृक निवास स्थान कानपुर ले जाकर वहीं उनका अंतिम संस्कार किया।
!! B Tv9 NEWS !! खाद दुकानों पर क्यूआर कोड का लगाना अनिवार्य
जिला कृषि अधिकारी जेपी यादव ने बताया कि उर्वरक के फुटकर व थोक व्यापारियों के यहां क्यूआर कोड का बोर्ड लगाया जाना अनिवार्य कर दिया गया है और किसानों से अब डिजिटल लेन देन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि सभी उर्वरक की दुकानों पर क्यूआर कोड अनिवार्य कर दिया गया है और एक सप्ताह की मोहलत उर्वरक विक्रेताओं को दी जा रही है।
यदि उनकी दुकान पर क्यूआर कोड नहीं मिला तो उनके लाइसेंस भी निरस्त कर दिए जाएंगे। 15 फरवरी से अभियान चलाकर दुकानों का निरीक्षण होगा। जिला कृषि अधिकारी ने बताया कि जिन व्यापारियों को क्यूआर कोड लेने में असुविधा हो रही है उनके लिए कार्यालय के मीटिंग हाल में सोमवार से क्यूआर कोड बनाकर उपलब्ध करवाने की व्यवस्था भी विभाग द्वारा की गई है।
उर्वरक विक्रेता उनके कार्यालय में आकर संपर्क करके क्यूआर कोड बनवा सकते हैं। उन्होंने व्यापारियों को स्पष्ट रूप से कहा है कि क्यूआर कोड न होने की स्थिति में कार्रवाई के लिए तैयार रहें। शासन स्तर से मिल रहे निर्देशों के क्रम में यह अभियान चलाया जा रहा है।
!! BTv9 NEWS !!Google का नया फीचर रखेगा हेल्थ का ध्यान, जानिए पूरा तरीका
ऐसे करेगा काम
जानकारी के मुताबिक, Google एक खास फीचर पर काम कर रही है और इस फीचर की मदद से यूजर्स अपने सेल फोन का उपयोग करके हार्ट रेट व श्वसन दर का माप सकेंगे। Google Fit आपको आपके फोन के कैमरे का उपयोग करके आपकी हार्ट रेट और श्वसन दर का मापने की अनुमति देगा। ये फीचर पिक्सल फोन के लिए गूगल फिट ऐप में उपलब्ध होंगे। जिसे अधिक एंड्राइड डिवाइसेज में एक्सपेंड करने की योजना है।
श्वास संबंधी गतिविधी (respiratory rate) को बताने के लिए कंपनी छाती के फुलाव पर भी ध्यान देगी। जैसे कैमरे के सामने खड़े व्यक्ति की सांस लेने पर छाती कितनी फूलती है और छोड़ने पर कितनी अंदर जाती है। इसके बाद वह इस डाटा को एनालाइज करेगी और यूजर्स को जानकारी देगी। यह गणना इतनी तेजी से होगी कि यूजर्स को बहुत ही कम समय में इसकी जानकारी मिल सकेगी।
हार्टबीट का ऐसे लगेगा पता
गूगल की माने तो फोन के लेंस पर ग्राहकों को अपनी उंगली रखनी होगी। इसके बाद त्वचा का रंग बदलेगा। इसी के आधार पर कैमरा यह पता लगा सकेगा कि आपकी हार्टबीट कितनी है। इसी के साथ आप पल्स रेट को भी नाप सकेंगे। बता दें कि यह ऐप आपको गोल्स को अचीव करने के तरीके को भी बताता है।
अशोक सागर - BTv9 NEWS
Thursday, February 4, 2021
BTv9 NEWS
!!BTv9NEWS!! ऊर्जा फाउंडेशन ने दी शहीदों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि
Wednesday, February 3, 2021
!! Btv9NEWS !! बेटे ने बाप को ही काट डाला
लूट के दौरान हत्या की सूचना पर पहुंची ने पड़ताल की तो पता चला कि पैसों को लेकर पिता-पुत्र में विवाद हुआ था। शक के आधार पर पुलिस ने बेटे को उठा लिया और पूछताछ की तो वह टूट गया। जिसके बाद पुलिस ने आरोपी बेटे को गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस ने शक के आधार पर उसके बेटे सुकई को उठा लिया। पूछताछ के दौरान वह टूट गया और पुलिस को बताया कि उसके पिता ने पेंशन के 38 हजार रुपये निकाले थे। वह एक हजार रुपये पिता से मांग रहा था।
मगर सुकई के पिता ने रुपये देने से इनकार कर दिया। इससे सुकई ने कुल्हाड़ी से मारकर पिता ईश्वरदीन की हत्या कर दी। एसपी के मुताबिक सुकई ने बताया कि पिता की हत्या करने के बाद अपने चाचा को फोन करके बताया कि लूट के इरादे से कुछ बदमाश घर में घुस आए थे।
Tuesday, February 2, 2021
कहानी कफ़न मुन्शी प्रेम चंद्र
झोपड़े के द्वार पर बाप और बेटा दोनों एक बुझे हुए अलाव के सामने चुपचाप बैठे हुए हैं और अन्दर बेटे की जवान बीबी बुधिया प्रसव-वेदना में पछाड़ खा रही थी। रह-रहकर उसके मुँह से ऐसी दिल हिला देने वाली आवाज़ निकलती थी, कि दोनों कलेजा थाम लेते थे। जाड़ों की रात थी, प्रकृति सन्नाटे में डूबी हुई, सारा गाँव अन्धकार में लय हो गया था।
घीसू ने कहा-मालूम होता है, बचेगी नहीं। सारा दिन दौड़ते हो गया, जा देख तो आ।
माधव चिढक़र बोला-मरना ही तो है जल्दी मर क्यों नहीं जाती? देखकर क्या करूँ?
‘तू बड़ा बेदर्द है बे! साल-भर जिसके साथ सुख-चैन से रहा, उसी के साथ इतनी बेवफाई!’
‘तो मुझसे तो उसका तड़पना और हाथ-पाँव पटकना नहीं देखा जाता।’
चमारों का कुनबा था और सारे गाँव में बदनाम। घीसू एक दिन काम करता तो तीन दिन आराम करता। माधव इतना काम-चोर था कि आध घण्टे काम करता तो घण्टे भर चिलम पीता। इसलिए उन्हें कहीं मजदूरी नहीं मिलती थी। घर में मुठ्ठी-भर भी अनाज मौजूद हो, तो उनके लिए काम करने की कसम थी। जब दो-चार फाके हो जाते तो घीसू पेड़ पर चढक़र लकडिय़ाँ तोड़ लाता और माधव बाज़ार से बेच लाता और जब तक वह पैसे रहते, दोनों इधर-उधर मारे-मारे फिरते। गाँव में काम की कमी न थी। किसानों का गाँव था, मेहनती आदमी के लिए पचास काम थे। मगर इन दोनों को उसी वक्त बुलाते, जब दो आदमियों से एक का काम पाकर भी सन्तोष कर लेने के सिवा और कोई चारा न होता। अगर दोनो साधु होते, तो उन्हें सन्तोष और धैर्य के लिए, संयम और नियम की बिलकुल जरूरत न होती। यह तो इनकी प्रकृति थी। विचित्र जीवन था इनका! घर में मिट्टी के दो-चार बर्तन के सिवा कोई सम्पत्ति नहीं। फटे चीथड़ों से अपनी नग्नता को ढाँके हुए जिये जाते थे। संसार की चिन्ताओं से मुक्त कर्ज़ से लदे हुए। गालियाँ भी खाते, मार भी खाते, मगर कोई गम नहीं। दीन इतने कि वसूली की बिलकुल आशा न रहने पर भी लोग इन्हें कुछ-न-कुछ कर्ज़ दे देते थे। मटर, आलू की फसल में दूसरों के खेतों से मटर या आलू उखाड़ लाते और भून-भानकर खा लेते या दस-पाँच ऊख उखाड़ लाते और रात को चूसते। घीसू ने इसी आकाश-वृत्ति से साठ साल की उम्र काट दी और माधव भी सपूत बेटे की तरह बाप ही के पद-चिह्नों पर चल रहा था, बल्कि उसका नाम और भी उजागर कर रहा था। इस वक्त भी दोनों अलाव के सामने बैठकर आलू भून रहे थे, जो कि किसी खेत से खोद लाये थे। घीसू की स्त्री का तो बहुत दिन हुए, देहान्त हो गया था। माधव का ब्याह पिछले साल हुआ था। जब से यह औरत आयी थी, उसने इस ख़ानदान में व्यवस्था की नींव डाली थी और इन दोनों बे-गैरतों का दोजख भरती रहती थी। जब से वह आयी, यह दोनों और भी आरामतलब हो गये थे। बल्कि कुछ अकडऩे भी लगे थे। कोई कार्य करने को बुलाता, तो निब्र्याज भाव से दुगुनी मजदूरी माँगते। वही औरत आज प्रसव-वेदना से मर रही थी और यह दोनों इसी इन्तजार में थे कि वह मर जाए, तो आराम से सोयें।
घीसू ने आलू निकालकर छीलते हुए कहा-जाकर देख तो, क्या दशा है उसकी? चुड़ैल का फिसाद होगा, और क्या? यहाँ तो ओझा भी एक रुपया माँगता है!
माधव को भय था, कि वह कोठरी में गया, तो घीसू आलुओं का बड़ा भाग साफ़ कर देगा। बोला-मुझे वहाँ जाते डर लगता है।
‘डर किस बात का है, मैं तो यहाँ हूँ ही।’
‘तो तुम्हीं जाकर देखो न?’
‘मेरी औरत जब मरी थी, तो मैं तीन दिन तक उसके पास से हिला तक नहीं; और फिर मुझसे लजाएगी कि नहीं? जिसका कभी मुँह नहीं देखा, आज उसका उघड़ा हुआ बदन देखूँ! उसे तन की सुध भी तो न होगी? मुझे देख लेगी तो खुलकर हाथ-पाँव भी न पटक सकेगी!’
‘मैं सोचता हूँ कोई बाल-बच्चा हुआ, तो क्या होगा? सोंठ, गुड़, तेल, कुछ भी तो नहीं है घर में!’
‘सब कुछ आ जाएगा। भगवान् दें तो! जो लोग अभी एक पैसा नहीं दे रहे हैं, वे ही कल बुलाकर रुपये देंगे। मेरे नौ लड़के हुए, घर में कभी कुछ न था; मगर भगवान् ने किसी-न-किसी तरह बेड़ा पार ही लगाया।’
जिस समाज में रात-दिन मेहनत करने वालों की हालत उनकी हालत से कुछ बहुत अच्छी न थी, और किसानों के मुकाबले में वे लोग, जो किसानों की दुर्बलताओं से लाभ उठाना जानते थे, कहीं ज़्यादा सम्पन्न थे, वहाँ इस तरह की मनोवृत्ति का पैदा हो जाना कोई अचरज की बात न थी। हम तो कहेंगे, घीसू किसानों से कहीं ज़्यादा विचारवान् था और किसानों के विचार-शून्य समूह में शामिल होने के बदले बैठकबाजों की कुत्सित मण्डली में जा मिला था। हाँ, उसमें यह शक्ति न थी, कि बैठकबाजों के नियम और नीति का पालन करता। इसलिए जहाँ उसकी मण्डली के और लोग गाँव के सरगना और मुखिया बने हुए थे, उस पर सारा गाँव उँगली उठाता था। फिर भी उसे यह तसकीन तो थी ही कि अगर वह फटेहाल है तो कम-से-कम उसे किसानों की-सी जी-तोड़ मेहनत तो नहीं करनी पड़ती, और उसकी सरलता और निरीहता से दूसरे लोग बेजा फ़ायदा तो नहीं उठाते! दोनों आलू निकाल-निकालकर जलते-जलते खाने लगे। कल से कुछ नहीं खाया था। इतना सब्र न था कि ठण्डा हो जाने दें। कई बार दोनों की जबानें जल गयीं। छिल जाने पर आलू का बाहरी हिस्सा जबान, हलक और तालू को जला देता था और उस अंगारे को मुँह में रखने से ज़्यादा खैरियत इसी में थी कि वह अन्दर पहुँच जाए। वहाँ उसे ठण्डा करने के लिए काफ़ी सामान थे। इसलिए दोनों जल्द-जल्द निगल जाते। हालाँकि इस कोशिश में उनकी आँखों से आँसू निकल आते।
घीसू को उस वक्त ठाकुर की बरात याद आयी, जिसमें बीस साल पहले वह गया था। उस दावत में उसे जो तृप्ति मिली थी, वह उसके जीवन में एक याद रखने लायक़ बात थी, और आज भी उसकी याद ताजी थी, बोला-वह भोज नहीं भूलता। तब से फिर उस तरह का खाना और भरपेट नहीं मिला। लडक़ी वालों ने सबको भर पेट पूडिय़ाँ खिलाई थीं, सबको! छोटे-बड़े सबने पूडिय़ाँ खायीं और असली घी की! चटनी, रायता, तीन तरह के सूखे साग, एक रसेदार तरकारी, दही, चटनी, मिठाई, अब क्या बताऊँ कि उस भोज में क्या स्वाद मिला, कोई रोक-टोक नहीं थी, जो चीज़ चाहो, माँगो, जितना चाहो, खाओ। लोगों ने ऐसा खाया, ऐसा खाया, कि किसी से पानी न पिया गया। मगर परोसने वाले हैं कि पत्तल में गर्म-गर्म, गोल-गोल सुवासित कचौडिय़ाँ डाल देते हैं। मना करते हैं कि नहीं चाहिए, पत्तल पर हाथ रोके हुए हैं, मगर वह हैं कि दिये जाते हैं। और जब सबने मुँह धो लिया, तो पान-इलायची भी मिली। मगर मुझे पान लेने की कहाँ सुध थी? खड़ा हुआ न जाता था। चटपट जाकर अपने कम्बल पर लेट गया। ऐसा दिल-दरियाव था वह ठाकुर!
माधव ने इन पदार्थों का मन-ही-मन मजा लेते हुए कहा-अब हमें कोई ऐसा भोज नहीं खिलाता।
‘अब कोई क्या खिलाएगा? वह जमाना दूसरा था। अब तो सबको किफायत सूझती है। सादी-ब्याह में मत खर्च करो, क्रिया-कर्म में मत खर्च करो। पूछो, गरीबों का माल बटोर-बटोरकर कहाँ रखोगे? बटोरने में तो कमी नहीं है। हाँ, खर्च में किफायत सूझती है!’
‘तुमने एक बीस पूरियाँ खायी होंगी?’
‘बीस से ज़्यादा खायी थीं!’
‘मैं पचास खा जाता!’
‘पचास से कम मैंने न खायी होंगी। अच्छा पका था। तू तो मेरा आधा भी नहीं है।’
आलू खाकर दोनों ने पानी पिया और वहीं अलाव के सामने अपनी धोतियाँ ओढ़कर पाँव पेट में डाले सो रहे। जैसे दो बड़े-बड़े अजगर गेंडुलिया मारे पड़े हों।
और बुधिया अभी तक कराह रही थी।
2
सबेरे माधव ने कोठरी में जाकर देखा, तो उसकी स्त्री ठण्डी हो गयी थी। उसके मुँह पर मक्खियाँ भिनक रही थीं। पथराई हुई आँखें ऊपर टँगी हुई थीं। सारी देह धूल से लथपथ हो रही थी। उसके पेट में बच्चा मर गया था।
माधव भागा हुआ घीसू के पास आया। फिर दोनों जोर-जोर से हाय-हाय करने और छाती पीटने लगे। पड़ोस वालों ने यह रोना-धोना सुना, तो दौड़े हुए आये और पुरानी मर्यादा के अनुसार इन अभागों को समझाने लगे।
मगर ज़्यादा रोने-पीटने का अवसर न था। कफ़न की और लकड़ी की फ़िक्र करनी थी। घर में तो पैसा इस तरह गायब था, जैसे चील के घोंसले में माँस?
बाप-बेटे रोते हुए गाँव के जमींदार के पास गये। वह इन दोनों की सूरत से नफ़रत करते थे। कई बार इन्हें अपने हाथों से पीट चुके थे। चोरी करने के लिए, वादे पर काम पर न आने के लिए। पूछा-क्या है बे घिसुआ, रोता क्यों है? अब तो तू कहीं दिखलाई भी नहीं देता! मालूम होता है, इस गाँव में रहना नहीं चाहता।
घीसू ने ज़मीन पर सिर रखकर आँखों में आँसू भरे हुए कहा-सरकार! बड़ी विपत्ति में हूँ। माधव की घरवाली रात को गुजर गयी। रात-भर तड़पती रही सरकार! हम दोनों उसके सिरहाने बैठे रहे। दवा-दारू जो कुछ हो सका, सब कुछ किया, मुदा वह हमें दगा दे गयी। अब कोई एक रोटी देने वाला भी न रहा मालिक! तबाह हो गये। घर उजड़ गया। आपका ग़ुलाम हूँ, अब आपके सिवा कौन उसकी मिट्टी पार लगाएगा। हमारे हाथ में तो जो कुछ था, वह सब तो दवा-दारू में उठ गया। सरकार ही की दया होगी, तो उसकी मिट्टी उठेगी। आपके सिवा किसके द्वार पर जाऊँ।
जमींदार साहब दयालु थे। मगर घीसू पर दया करना काले कम्बल पर रंग चढ़ाना था। जी में तो आया, कह दें, चल, दूर हो यहाँ से। यों तो बुलाने से भी नहीं आता, आज जब गरज पड़ी तो आकर खुशामद कर रहा है। हरामखोर कहीं का, बदमाश! लेकिन यह क्रोध या दण्ड देने का अवसर न था। जी में कुढ़ते हुए दो रुपये निकालकर फेंक दिए। मगर सान्त्वना का एक शब्द भी मुँह से न निकला। उसकी तरफ ताका तक नहीं। जैसे सिर का बोझ उतारा हो।
जब जमींदार साहब ने दो रुपये दिये, तो गाँव के बनिये-महाजनों को इनकार का साहस कैसे होता? घीसू जमींदार के नाम का ढिंढोरा भी पीटना जानता था। किसी ने दो आने दिये, किसी ने चारे आने। एक घण्टे में घीसू के पास पाँच रुपये की अच्छी रकम जमा हो गयी। कहीं से अनाज मिल गया, कहीं से लकड़ी। और दोपहर को घीसू और माधव बाज़ार से कफ़न लाने चले। इधर लोग बाँस-वाँस काटने लगे।
गाँव की नर्मदिल स्त्रियाँ आ-आकर लाश देखती थीं और उसकी बेकसी पर दो बूँद आँसू गिराकर चली जाती थीं।
3
बाज़ार में पहुँचकर घीसू बोला-लकड़ी तो उसे जलाने-भर को मिल गयी है, क्यों माधव!
माधव बोला-हाँ, लकड़ी तो बहुत है, अब कफ़न चाहिए।
‘तो चलो, कोई हलका-सा कफ़न ले लें।’
‘हाँ, और क्या! लाश उठते-उठते रात हो जाएगी। रात को कफ़न कौन देखता है?’
‘कैसा बुरा रिवाज है कि जिसे जीते जी तन ढाँकने को चीथड़ा भी न मिले, उसे मरने पर नया कफ़न चाहिए।’
‘कफ़न लाश के साथ जल ही तो जाता है।’
‘और क्या रखा रहता है? यही पाँच रुपये पहले मिलते, तो कुछ दवा-दारू कर लेते।’
दोनों एक-दूसरे के मन की बात ताड़ रहे थे। बाज़ार में इधर-उधर घूमते रहे। कभी इस बजाज की दूकान पर गये, कभी उसकी दूकान पर! तरह-तरह के कपड़े, रेशमी और सूती देखे, मगर कुछ जँचा नहीं। यहाँ तक कि शाम हो गयी। तब दोनों न जाने किस दैवी प्रेरणा से एक मधुशाला के सामने जा पहुँचे। और जैसे किसी पूर्व निश्चित व्यवस्था से अन्दर चले गये। वहाँ जरा देर तक दोनों असमंजस में खड़े रहे। फिर घीसू ने गद्दी के सामने जाकर कहा-साहूजी, एक बोतल हमें भी देना।
उसके बाद कुछ चिखौना आया, तली हुई मछली आयी और दोनों बरामदे में बैठकर शान्तिपूर्वक पीने लगे।
कई कुज्जियाँ ताबड़तोड़ पीने के बाद दोनों सरूर में आ गये।
घीसू बोला-कफ़न लगाने से क्या मिलता? आखिर जल ही तो जाता। कुछ बहू के साथ तो न जाता।
माधव आसमान की तरफ देखकर बोला, मानों देवताओं को अपनी निष्पापता का साक्षी बना रहा हो-दुनिया का दस्तूर है, नहीं लोग बाँभनों को हजारों रुपये क्यों दे देते हैं? कौन देखता है, परलोक में मिलता है या नहीं!
‘बड़े आदमियों के पास धन है, फ़ूँके। हमारे पास फूँकने को क्या है?’
‘लेकिन लोगों को जवाब क्या दोगे? लोग पूछेंगे नहीं, कफ़न कहाँ है?’
घीसू हँसा-अबे, कह देंगे कि रुपये कमर से खिसक गये। बहुत ढूँढ़ा, मिले नहीं। लोगों को विश्वास न आएगा, लेकिन फिर वही रुपये देंगे।
माधव भी हँसा-इस अनपेक्षित सौभाग्य पर। बोला-बड़ी अच्छी थी बेचारी! मरी तो खूब खिला-पिलाकर!
आधी बोतल से ज़्यादा उड़ गयी। घीसू ने दो सेर पूडिय़ाँ मँगाई। चटनी, अचार, कलेजियाँ। शराबखाने के सामने ही दूकान थी। माधव लपककर दो पत्तलों में सारे सामान ले आया। पूरा डेढ़ रुपया खर्च हो गया। सिर्फ थोड़े से पैसे बच रहे।
दोनों इस वक्त इस शान में बैठे पूडिय़ाँ खा रहे थे जैसे जंगल में कोई शेर अपना शिकार उड़ा रहा हो। न जवाबदेही का खौफ था, न बदनामी की फ़िक्र। इन सब भावनाओं को उन्होंने बहुत पहले ही जीत लिया था।
घीसू दार्शनिक भाव से बोला-हमारी आत्मा प्रसन्न हो रही है तो क्या उसे पुन्न न होगा?
माधव ने श्रद्धा से सिर झुकाकर तसदीक़ की-जरूर-से-जरूर होगा। भगवान्, तुम अन्तर्यामी हो। उसे बैकुण्ठ ले जाना। हम दोनों हृदय से आशीर्वाद दे रहे हैं। आज जो भोजन मिला वह कभी उम्र-भर न मिला था।
एक क्षण के बाद माधव के मन में एक शंका जागी। बोला-क्यों दादा, हम लोग भी एक-न-एक दिन वहाँ जाएँगे ही?
घीसू ने इस भोले-भाले सवाल का कुछ उत्तर न दिया। वह परलोक की बातें सोचकर इस आनन्द में बाधा न डालना चाहता था।
‘जो वहाँ हम लोगों से पूछे कि तुमने हमें कफ़न क्यों नहीं दिया तो क्या कहोगे?’
‘कहेंगे तुम्हारा सिर!’
‘पूछेगी तो जरूर!’
‘तू कैसे जानता है कि उसे कफ़न न मिलेगा? तू मुझे ऐसा गधा समझता है? साठ साल क्या दुनिया में घास खोदता रहा हूँ? उसको कफ़न मिलेगा और बहुत अच्छा मिलेगा!’
माधव को विश्वास न आया। बोला-कौन देगा? रुपये तो तुमने चट कर दिये। वह तो मुझसे पूछेगी। उसकी माँग में तो सेंदुर मैंने डाला था।
‘कौन देगा, बताते क्यों नहीं?’
‘वही लोग देंगे, जिन्होंने अबकी दिया। हाँ, अबकी रुपये हमारे हाथ न आएँगे।’
‘ज्यों-ज्यों अँधेरा बढ़ता था और सितारों की चमक तेज होती थी, मधुशाला की रौनक भी बढ़ती जाती थी। कोई गाता था, कोई डींग मारता था, कोई अपने संगी के गले लिपटा जाता था। कोई अपने दोस्त के मुँह में कुल्हड़ लगाये देता था।
वहाँ के वातावरण में सरूर था, हवा में नशा। कितने तो यहाँ आकर एक चुल्लू में मस्त हो जाते थे। शराब से ज़्यादा यहाँ की हवा उन पर नशा करती थी। जीवन की बाधाएँ यहाँ खींच लाती थीं और कुछ देर के लिए यह भूल जाते थे कि वे जीते हैं या मरते हैं। या न जीते हैं, न मरते हैं।
और यह दोनों बाप-बेटे अब भी मजे ले-लेकर चुसकियाँ ले रहे थे। सबकी निगाहें इनकी ओर जमी हुई थीं। दोनों कितने भाग्य के बली हैं! पूरी बोतल बीच में है।
भरपेट खाकर माधव ने बची हुई पूडिय़ों का पत्तल उठाकर एक भिखारी को दे दिया, जो खड़ा इनकी ओर भूखी आँखों से देख रहा था। और देने के गौरव, आनन्द और उल्लास का अपने जीवन में पहली बार अनुभव किया।
घीसू ने कहा-ले जा, खूब खा और आशीर्वाद दे! जिसकी कमाई है, वह तो मर गयी। मगर तेरा आशीर्वाद उसे ज़रूर पहुँचेगा। रोयें-रोयें से आशीर्वाद दो, बड़ी गाढ़ी कमाई के पैसे हैं!
माधव ने फिर आसमान की तरफ देखकर कहा-वह बैकुण्ठ में जाएगी दादा, बैकुण्ठ की रानी बनेगी।
घीसू खड़ा हो गया और जैसे उल्लास की लहरों में तैरता हुआ बोला-हाँ, बेटा बैकुण्ठ में जाएगी। किसी को सताया नहीं, किसी को दबाया नहीं। मरते-मरते हमारी ज़िन्दगी की सबसे बड़ी लालसा पूरी कर गयी। वह न बैकुण्ठ जाएगी तो क्या ये मोटे-मोटे लोग जाएँगे, जो गरीबों को दोनों हाथों से लूटते हैं, और अपने पाप को धोने के लिए गंगा में नहाते हैं और मन्दिरों में जल चढ़ाते हैं?
श्रद्धालुता का यह रंग तुरन्त ही बदल गया। अस्थिरता नशे की ख़ासियत है। दु:ख और निराशा का दौरा हुआ।
माधव बोला-मगर दादा, बेचारी ने ज़िन्दगी में बड़ा दु:ख भोगा। कितना दु:ख झेलकर मरी!
वह आँखों पर हाथ रखकर रोने लगा। चीखें मार-मारकर।
घीसू ने समझाया-क्यों रोता है बेटा, खुश हो कि वह माया-जाल से मुक्त हो गयी, जंजाल से छूट गयी। बड़ी भाग्यवान थी, जो इतनी जल्द माया-मोह के बन्धन तोड़ दिये।
और दोनों खड़े होकर गाने लगे- ‘ठगिनी क्यों नैना झमकावे! ठगिनी।
पियक्कड़ों की आँखें इनकी ओर लगी हुई थीं और यह दोनों अपने दिल में मस्त गाये जाते थे। फिर दोनों नाचने लगे। उछले भी, कूदे भी। गिरे भी, मटके भी। भाव भी बताये, अभिनय भी किये। और आखिर नशे में मदमस्त होकर वहीं गिर पड़े।
C/P
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Monday, February 1, 2021
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सेक्स से जुड़े 10 अजीब तथ्य
पुरुषों को पसंद है पेनिस देखना
स्ट्रेट पुरुषों को भी पेनिस देखना पसंद है। जी हां, लेकिन इसमें एक पेंच भी है। दरअसल पुरुष पॉर्न साइट्स पर अक्सर पॉर्न स्टार के साथ अपने पेनिस के साइज की तुलना करते रहते हैं।
सेक्स लाइफ डालती है सैलरी पर असर
आपकी सेक्स लाइफ आपकी सैलरी पर भी प्रभाव डालती है। सर्वे में पाया गया है कि जिन लोगों का सेक्स जीवन संतोषजनक होता है उन्हें अक्सर बेटर सैलरी पर काम करने के अवसर प्राप्त होते हैं।
पॉर्न आपको उदार बनाता है
एक रिसर्च के अनुसार पॉर्न देखने वाले पुरुष महिलाओं के साथ बेहतर तरीके से पेश आते हैं। इसके अलावा ऐसे लोगों को गैर-पारंपरिक कपल्स जैसे कि गे या लेज्बियन कपल्स से भी कोई समस्या नहीं होती।
साइक्लिंग आपको नपुंसक बना सकती है
जी हां, गलत तरीके से साइक्लिंग करना आपके लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। हालांकि जिस प्रकार सारे स्मोक करने वालों को लंग कैंसर नहीं होता उसी तरह ये बात भी सब पर लागू नहीं होती। फिर भी, सावधानी ही बचाव है।
सैलरी बताती है प्रेफर्ड ब्रेस्ट साइज
आपकी सैलरी आपके द्वारा प्रेफर्ड ब्रेस्ट साइज को भी निर्धारित करती है। एक सर्वे में पाया गया कि जिनकी आमदनी कम थी उन्होंने बड़े ब्रेस्ट वाली महिलाओं को ज्यादा पसंद किया जबकी अमीर लोगों की पसंद छोटे ब्रेस्ट वाली महिलाएं थीं।
बड़े ब्रेस्ट वाली महिलाओं की मदद
हालांकि पुरुष किसी भी महिला की मदद कर खुशी ही अनुभव करेंगे पर ऐसा पाया गया है कि बड़े ब्रेस्ट वाली महिलाओं की मदद करने में पुरुषों को ज्यादा खुशी होती है।
जितना मोटा उतनी देर
हालांकि हम दिन रात जिम में पसीना बहाकर अपनी बॉडी को टोन्ड करने के चक्कर में पड़े रहते हैं पर बिस्तर में मोटे पुरुष ज्यादा देर तक टिकते हैं। हालांकि इसका यह मतलब नहीं कि कल से आप भी मोटे होने के तरीके ढूंढ़ने लगें।
सैलरी और परफॉर्मेंस
आपकी सैलरी बिस्तर में आपके परफॉर्मेंस को भी प्रभावित करती है। ऐसा पाया गया कि जो लोग ज्यादा सैलरी पाते हैं, वे अपनी पार्टनर को चरमसुख तक पहुंचाने में कहीं ज्यादा बार कामयाब होते हैं।
मंकी सेक्स से उत्तेजित होती हैं महिलाएं
महिलाओं को मंकी सेक्स खासा उत्तेजित करता है। एक सर्वे में पाया गया कि जिन महिलाओं को मंकी सेक्स का विडियो दिखाया गया, वे इसी प्रकार के प्रयोग में शामिल अन्य महिलाओं से कहीं ज्यादा उत्तेजित थीं।
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गोण्डा (चंदवतपुर) - आज दिनांक 25 नवंबर 2021 को प्रथमा यू पी ग्रामीण बैंक के तरफ से आये जादूगर ने बैंक की शाखा चंदवतपुर में अपन...